हमारे शरीर में जब कभी हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ता है तो शरीर में कई रोग पैदा होने लगते है। हार्मोन्स का निर्माण शरीर की अंत:स्त्रावी ग्रंथियों में होता है। ऐसी ही एक अंत:स्त्रावी ग्रंथि पेंक्रियाज़ अथवा अग्न्याशय होती है। इस ग्रंथि का मुख्य कार्य इन्सुलिन हार्मोन बनाना होता है। इंसुलिन हार्मोन, रक्त में शुगर की मात्रा को नियंत्रित रखता है। इन्सुलिन की कमी के कारण हमारा शरीर भोजन से प्राप्त होने वाली शुगर का ठीक से दहन नहीं कर पाता और यह शुगर रक्त में प्रवाहित होने लगती है। यही से मधुमेह या ब्लड शुगर की रोग की शुरुआत होती है। रक्त में शुगर की मात्रा एक सामान्य स्तर से अधिक होना ही मधुमेह है। सामान्य स्तर पर सुबह जागने पर बगैर किसी भोजन या नाश्ते के रक्त में शुगर की मात्रा 70 से 110 dl एवं भोजन के 2 घंटे के बाद 110 से 140 तक मानी गई है। यदि इन स्तरों में वृद्धि हो तो व्यक्ति शुगर रोग से ग्रसित माना जाता है।
शुगर की बीमारी की व्यापकता
मधुमेह आज एक विश्वव्यापी रोग बन चुका है। लेकिन भारत में इस रोग की भयावहता को अंदाज़ इस बात से लगाया जा सकता है की हमारे देश को मधुमेह या डॉयबिटीज़ की राजधानी कहा जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वर्ष 2025 भारत में विश्व के सबसे अधिक रोगी लगभग 5 करोड़ 70 लाख तक होने की संभावना है। प्रतिवर्ष विश्व में लाखों मधुमेह रोगियों की अकाल मृत्यु या आकस्मिक देहांत हो जाता है।
मधुमेह के कारण:
लोगों के खान-पान एवं रहन सहन में तेजी से होने वाले बदलाव , शारीरिक श्रम में कमी के साथ फ़ास्ट फ़ूड, जंक फ़ूड और डिब्बाबंद फ़ूड की तरफ़ लोगों का झुकाव बढ़ा है। इन्ही कारणो के कारण आज का समाज ब्लड शुगर के साथ साथ तनाव, बीपी, एवं हृदय रोग जैसी जटिल समस्यायों के जाल में उलझ गया है। मधुमेह या शूगर का रोग किसी भी व्यक्ति को किसी भी उम्र में हो सकता है , लेकिन बच्चों की अपेक्षा यह रोग वयस्कों में अधिक पाया गया है। भारत में 95 प्रतिशत से ज्यादा रोगी वयस्क है।
मधुमेह के प्रमुख लक्षण
- अचानक वजन में कमी आना।
- अधिक भूख प्यास व मूत्र लगना।
- शरीर थकान, पिडंलियो में दर्द।
- बार-बार संक्रमण होना या देरी से घाव भरना।
- हाथ पैरो में झुनझुनाहट, सूनापन या जलन रहना।
- पुरुषत्व में कमी
जैसा की बताया गया है यह रोग किसी भी इंसान को किसी भी उम्र में हो सकता है किन्तु जो लोग निष्क्रिय जीवन शैली जीते है , जिन्हे मोटापा है , उच्च रक्त चाप है अथवा जिनके परिवार में मधुमेह का इतिहास रहा हो उन्हें मधुमेह होने की संभावना अधिक रहती है। चूँकि शहरी व्यक्ति ग्रामीणो की अपेक्षा व्यायाम या शारीरिक श्रम कम या नहीं करते हैं उन्हें मधुमेह रोग होने की अधिक संभावना रहती है।
मधुमेह रोग के दुष्प्रभाव
मधुमेह ऐसा रोग है जो शरीर के हर अंग को प्रभावित करता है। ऐसा देखा गया है की सामान्य तौर पर व्यक्ति ब्लड शुगर की जाँच तब तक नहीं करता जब तक की उसके शरीर कोई विकृति नहीं पैदा हो जाती है। जबकि ब्लड शुगर का रोग आपके शरीर में धीरे धीरे वर्षों पहले पनपना शुरू हो चुका होता है। इसलिए यह अच्छा होगा की रक्त में शुगर की मात्रा की जाँच नियमित करते रहें जिससे समय रहते सतर्क हुआ जा सके।
कुछ खास दीर्घकालीन विकृतियॉः-
- पैरों में गैंग्रीन जैसा रोग जिसमे पैर काटना भी पड़ सकता है।
- कम उम्र में आँखों में मोतिया बिंद , रेटिना ख़राब होना यहाँ तक की अंधापन होना भी।
- हदय एवं धमनियॉ हदयघात (हार्ट अटैक) रक्तचाप, हदयशूल (एंजाइना)।
- मूत्र में प्रोटीन्स की मात्रा अधिक होना , चेहरे या पैरो पर या पूरे शरीर पर सूजन और अन्त में किडनी का पूरी तरह ख़राब होना या रीनल फैल्योर ।
- मस्तिष्क व स्नायु तंत्र सम्बन्धी विकृति जैसे- स्मरणशक्ति में कमी , संवेदनाओं की कमी, चक्कर आना, नपुंसकता (न्यूरोपैथी), लकवा।
शुगर मुक्ति की ओर एक कदम:
यदि आप भी किसी भी प्रकार की ब्लड शुगर के रोग से पीड़ित है और चाहते है कि आप बगैर किसी दवा के, बग़ैर किसी साइड इफेक्ट के और निरापद प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से इस रोग से छुटकारा पा सकें तो आप हमारे शुगर भारत छोड़ो अभियान से जुड़े और हमारे विशेषज्ञों की देख-रेख मे इस रोग से मुक्ति पा सकते है ।