About the Founder and his Inspirations

सुभाष देशयोगी एक समूह ‘ए’ अधिकारी हैं जो दूरसंचार विभाग, संचार मंत्रालय, भारत सरकार में निदेशक के रूप में कार्यरत हैं।आपका जन्म उत्तर प्रदेश राज्य के इलाहाबाद ( अब प्रयागराज )  जिले के करछना गांव में 10.10.1981 को जन्म हुआ। अपने माता-पिता श्रीमती विजयलक्ष्मी और स्वर्गीय श्री बसंत लाल जी से उन्हें धर्म परायणता , परिश्रमी और शांतिप्रियता जैसे गुण विरासत में मिले। बचपन से बालक सुभाष  की भौतिकी में गहरी रुचि थी और अस्तित्व के गहन प्रश्नों पर चिंतन करने की आदत थी।

जैसे जैसे उम्र बढ़ने लगी आपकी उत्सुकता भी साथ-साथ बढ़ती चली गई। वर्ष 2012 में, उन्हें विवेकानंद साहित्य को पढ़ने और समझने का एक ईश्वर प्रदत्त अवसर मिला , परिणामस्वरूप उनकी रुचि भौतिकी से योग में बदल गई और उन्होंने जीवन और भौतिकी के बुनियादी सिद्धांतों के बीच सह-संबंध को करीब से देखा। उन्होंने विभिन्न धर्मों के पवित्र ग्रंथों और अध्यात्म पर साहित्य की खोज शुरू की। 2016 में, उन्होंने रामकृष्ण मिशन विवेकानंद विश्वविद्यालय, बेलूर, हावड़ा, पश्चिम बंगाल में स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम में शामिल होने और अपनी जिज्ञासा को आगे बढ़ाने के लिए एक वर्ष का विश्राम लिया।

बेलूर में स्नातकोत्तर डिप्लोमा के पाठ्यक्रम मे प्रवेश , उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ था। वह स्वामी आत्मप्रियानंद महाराज जी, (स्वर्गीय) स्वामी हरिहरानंद महाराज जी, स्वामी वेदार्थनन्द जी  महाराज , स्वामी क्लेशानन्द जी महाराज और श्री अभिजीत विश्वास सर जैसी कई जागृत आत्माओं के सीधे संपर्क में आए। (स्वर्गीय) स्वामी हरिहरानंद महाराज जी की एक कक्षा के दौरान ही  जब वे स्वामी विवेकानंद के जीवन के बारे मे अध्ययन करवा रहे थे तभी देशयोग की अवधारणा अस्तित्व में आई । 

एक अन्य योग्य व्यक्ति जिनके जीवन और शिक्षाओं ने देशयोग की नींव रखी, वे हैं सुभाष देशयोगी की मां श्रीमती विजयलक्ष्मी। सुभाष के बेलूर में स्नातकोत्तर डिप्लोमा के पाठ्यक्रम मे प्रवेश होने से पहले, वह जीवन शैली की कई बीमारियों से पीड़ित थीं। जब उन्होंने भगवद्गीता में वर्णित सात्विक आहार की महिमा के बारे में सुना, तो उन्होंने इसका परीक्षण करने और हमारे महान ग्रंथों (ग्रंथों) को अपनाने के लिए तुरंत बगैर किसी देरी के स्वेच्छा से अपने आपको प्रस्तुत किया। सात्विक आहार शुरू होने के 3 महीने के अंदर ही उन्होंने सभी बीमारियों पर विजय हांसिल कर ली । बीमारियों से संबंधित सभी  रिपोर्ट निगेटिव आई है। इस प्रकार, उन्होंने  व्यावहारिक रूप से सुभाष देशयोगी को पवित्र शास्त्रों की महिमा से रूबरू कराया, जिससे वह अध्यात्म की दुनिया को और अधिक जानने के लिए उत्सुक हो गए।  

जुलाई 2017 में बेलूर मठ से लौटने के बाद, कई समान विचारधारा वाले और समान रूप से समर्पित स्वयंसेवकों के समर्थन से, सुभाष देशयोगी पूरे भारत में योग कक्षाएं आयोजित कर रहे हैं। उन्होंने हमारे महान पवित्र ग्रंथों के वैज्ञानिक पहलू को बढ़ावा देने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है। कई समान विचारधारा वाले व्यक्तियों ने उनके विचार का समर्थन किया और इस प्रकार देशयोग चैरिटेबल ट्रस्ट अस्तित्व में आया। वह देशयोग चैरिटेबल ट्रस्ट में एक स्वयंसेवक के समान रूप में काम करते हैं। वह , (स्वर्गीय) स्वामी हरिहरानंद महाराज जी और अपनी माता श्रीमती विजयलक्ष्मी को  देशयोग चैरिटेबल ट्रस्ट की प्रेरणा और मशाल वाहक के रूप मे मानते है ।

Inspiration

Belur Math
Swami Vivekananda
Swami Hariharananda Maharaj Ji
Vijaylaxmi Kesarwani

Foundation

Subhash Deshyogi
Founder
Vijaylaxmi Deshyogi
Trustee
Dipankar Deshyogi
Trustee
Shailendra Deshyogi
Secretary of deshyoga Charitable Trust & Trustee
Bhavna Deshyogi
Trustee & President
Jaya Deshyogi
Trustee
Sadhna Deshyogi
Trustee & Vice President
Jaya Rajesh Kumar Deshyogi
Trustee & Treasurer of Deshyoga
Archana Deshyogi
Founder & Trustee
Seema Deshyogi
Founder & Trustee
Vimal Deshyogi
Trustee